क्या बात है देव?
हर खुशी की झलक दिखाते हो
फिर पन्ना पलट देते हो
कहानी ठीक से शुरू नहीं होती
किरदार बदल देते तो।।
माना कि तुम्हारे साम्राज्य का
मैं एक पात्र भर हूं
जैसे ही सत्ता के करीब पहुंचता हूं
वैसे ही तुम
शासक बदल देते।।
अजीब रिवाज है तुम्हारे शहर का
पूरी उम्र लोग जिसे
पानी पी-पी कर गाली देते हैं
मरने के बाद लोग उसको
मसीहा बताते हैं।
मुझे क्या करना है
मुझे तो तुमने
खुद जैसा ही समझा है
न राग न द्वेष
न मोह न माया।।
फिर क्या प्रयोजन है
इस कद-काठी का
मौन क्यों हो तुम
सवाल है तुमसे
क्यों दिया यह काया??
@अजय कुमार सिंह