गुलाब नगर- 11
विशाल बरगद का पेड़ प्रतीक है विशालता का समाहित है इसके अंदर सृष्टि सकल।। जीवंत हो उठते है …
विशाल बरगद का पेड़ प्रतीक है विशालता का समाहित है इसके अंदर सृष्टि सकल।। जीवंत हो उठते है …
अंधेरे को चीरता सुबह का उजाला कोहरे से घिरा वीरान सड़क अद्भुत नजारा है।। गुदगुदाती ठ…
सुबह हो गई चलो उठो रजाई छोड़ो बाहर निकलो चहलकदमी कर थोड़ा गर्मी लाओ तेज़ भागो या पैदल च…
ओ बारिश बहुत तड़पाते हो तुम जितना मैं तुम में डूबना चाहता हूं उतना ही तरसाते हो तुम।। आंखें भर…
जलमग्न है वातावरण सारा हर जगह पानी-पानी है पेड़ पर पानी, पत्तों पर पानी रोड पर पानी मन भी पानी-प…
बादल भी मैं बिजली भी मैं चारों तरफ फैली हुई घनघोर हरियाली के बीच झर झर बारिश में आनंदित मैं।। क…
कितना भाग्यशाली है तू अमरूद रोज चिड़िया, गिलहरी, तितली आदि तेरे पास आते हैं तुम सबको खाना-आश्र…
तुझे याद करके इस तरह बारिश में मैं भींगता रहा तू मुझे चाहे या ना चाहे तेरी यादों को ही म…
जेठ की गर्मी में दूर तलक है सन्नाटा छाया हुआ।। तप्ती दोपहर में लगता सृष्टि बेजान पड़ा।। …
सपना लिए आंखों में नींद के रास्ते तुझ तक पहुंच जाता हूं ।। तुझे क्या पता पूरी रात सपने …
बांस, बरगद, यूक्लिप्टस खेर, खजूर, अमरूद, आम के फैले पेड़ कहां से यहां आये कोई बताएगा क्या ।…
सोचता हूं बदल दूं सामने का नजारा सोचता हूं बदल दूं जीव और जगत सारा ।। साथ में यह भी सो…
कल शाम की गर्म चाय ऊपर से पकोड़े की ज़ायका और दोस्तों का साथ याद है ।। माखनलाल के रं…
कहीं दूर जाने का मन करता है जहां न कोई हो सिर्फ तन्हाई का बसेरा हो।। वक्त की पाबंदी ना…
बारिश की रात तन्हाई का शोर बूंदों का चटकना मन का भटकना।। सुबह से ही बरस रहे हैं बादल …
कौन मूल हैं और कौन नहीं देखने का नज़रिया हैं।। जो मूल हैं वह भी हैं जो नहीं हैं वह भी ह…
सोचा आज कुछ बदमासी करते है सूरज से ऊर्जा लेते है चांद से शीतलता पृथ्वी से सुगंध और हरयाली से…
कहां भटक रही हो अकेली रात बहुत गहरी है मेरे पास आओ।। बाहर बहुत ठंड है अनजाने रास्ते हैं…
न जाने क्यों लगा मुझे अभी कि जैसे तुम घुली हुई हो फिजाओं में इन हवाओं में इन घटाओं में रोम रो…
चांदनी रात में गोरख पांडेय होस्टल के छत पर चांद को निहारते हुए सोचता हूं।। बाहर चांदनी का उजाला …