सोचता हूं बदल दूं
सामने का नजारा
सोचता हूं बदल दूं
जीव और जगत सारा ।।
सामने का नजारा
सोचता हूं बदल दूं
जीव और जगत सारा ।।
साथ में यह भी सोचता हूं
कि मैं यह क्यों सोचता हूं
सोचने और करने में
सदियों का फासला है ।।
कि मैं यह क्यों सोचता हूं
सोचने और करने में
सदियों का फासला है ।।
जो करते हैं वह सोचते कहां है?
जो सोचते हैं वह करते कहां है ?
सच यह भी है कि
सोच कर ही सब करते हैं ।।
जो सोचते हैं वह करते कहां है ?
सच यह भी है कि
सोच कर ही सब करते हैं ।।
अब सवाल मन में आता है
कुछ करने का ख्याल
क्यों नहीं आता है?
कुछ करने का ख्याल
क्यों नहीं आता है?
हाय रे वर्धा की बारिश
कुछ ना करने का मन
ले रहा है तुम्हारा सहारा ।।
कुछ ना करने का मन
ले रहा है तुम्हारा सहारा ।।
सुबह से दोपहर हुआ
अब दोपहर से शाम
क्या ऐसे ही कटेगा
आज का दिन सारा ।।
@अजय कुमार सिंह
अब दोपहर से शाम
क्या ऐसे ही कटेगा
आज का दिन सारा ।।
@अजय कुमार सिंह