एकांतवास

 

तुम हो तो ये बातें हैं
क्या है जो तुम में नहीं
सब कुछ तो है तुम्हारे पास
बहुत ख़ास हो तुम।।

बस तुम्हें यह करना है 
तुम्हें ख़ुद से निकलना है
अपने हाथों को फैला कर
दुनिया मुट्ठी में करना है।।

सही है कि तुम्हारे 
हिस्से में भी तकलीफ़ें आयी हैं
दिल को तुम्हारे ठेस पहुँचा है 
समय भी काफ़ी बीत गया।।

पुरानी बातों को दिल से निकालो
थोड़ा मन हल्क़ा करो
रिश्तों में नई गर्माहट तलाशो 
समय हर ज़ख़्म भर देता है।।

बीते वक्त की तरफ़
देखना छोड़ो
आने वाले कल का
स्वागत करो।।

जो चल रहा है 
वह सच है 
जो बीत गया 
वह फ़साना है।।

चलो अब अकेलेपन
से बाहर बाहर आओ 
नए दोस्तों से मिलो 
थोड़ा हँसो थोड़ा मुस्कुराओ

@अजय कुमार सिंह 

ajaysingh

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