निढाल पड़ा हुआ
न मुंह में जुबान
न आंखों में चमक
नहीं पता किस दुनिया में
खोया हुआ हूं मैं।।।
न अभिव्यक्ति की ताकत
न मुद्दों की समझ
किस बात को लेकर
खुद से लड़ पड़ा हूं मैं।।
बोलना बहुत चाहता हूं
कुछ सोच कर चुप हो जाता हूं
अभी तो यही था
अभी-अभी चल रहा हूं मैं।।
रात भर चलूंगा
जब तक थक न जाऊं
नहीं रुकूँगा
जिंदा हूं नहीं मरा मैं।।
@अजय कुमार सिंह
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जीवन