जीवन

रणविजय

रणविजय हो तुम   क्यों व्यर्थ में डरते हो   यह रण तुम्हारी रचना फिर क्यों नहीं चढ़ …

आवारा

एक तुम्हारे लिए ही   सारे जिद्द छोड़ आया हूँ   देख मेरी नज़रों में झाँककर   सारे ब…

जुनून

एक सिलसिला है   जो मेरे   अंदर चला रहा है ।। जैसी जैसे ही आग   शांत होती है   एक …

चाहत

रात का अंधेरा अगर मेरे लिए है तो सूबह के सवेरा पर भी मेरा अधिकार है।। किसने कहां कि मेरा…

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