चाहत




 रात का अंधेरा

अगर मेरे लिए है
तो सूबह के सवेरा
पर भी मेरा अधिकार है।।

किसने कहां कि मेरा वजूद
मुकदर पर निर्भर है
बनाया है मैनें मुकदर
अपने इन हाथों से ।।

जरा रूकिये तो जनाब
अभी कहानी खत्‍म कहां हुई है
थोड़ा तो ठहरिये
अभी तो मोड़ बाकी है।।

मेरा बीता कल आपने बस देखा है
आने वाला कल अभी बाकी है
सफलता असफलता तो गुणा गणित है
एक नजरिया है बस ।।

चाहत ने मेरी
अभी आकार लिया कहां
अभी तो उठा हूं
नापना-आकाश-धरती-पाताल
अभी बाकी है ।।

@ जय 

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

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