बारिश की रात
तन्हाई का शोर
बूंदों का चटकना
मन का भटकना।।
सुबह से ही बरस
रहे हैं बादल
दिल है कि
चाहता है और ।।
बाहर बारिश की बूंदे
अंदर आंसुओं का सैलाब
रह-रह कर छलक जाते हैं ।।
बातों ही बातों में
भावनाओं के रास्तें
बादलों की तरह
आंखें भी बरस जाती हैं।।
@अजय कुमार सिंह