वर्धा की बारिश- 3


कहीं दूर जाने का
मन करता है
जहां न कोई हो 
सिर्फ तन्हाई का बसेरा हो।।
वक्त की पाबंदी
ना आड़े आए
रिश्तों की दीवार
जज्बातों को न घेरे।।
पड़े रहे वही अकेले
कोई न खोजने आए
सारे सवालों से उलझे
एक को चुनकर सुलझाएं ।।
काश की ऐसा हो
जीवन की पहेली
किसी दिन मेरे मत्थे
पड़ जाए ।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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