हे महादेव
तेरी भूमि पर
बिंदास घूमता हूं।।
जब मन करता है
चाय पीता हूं
आधी रात को
चौराहे पर पान खाता हूं ।।
चाय पी कर
बड़ी बड़ी बातें
सोचता हूं ।।
पान खाकर
बनारसी संस्कृति का
पालन करते हुए
रोड पर यहां-वहां
थूकता हूं।।
फिर बनारसी नेता का
स्वच्छता मिशन याद आता है
यही कारण है की
यदा-कदा ही पान खाता हूं।।
कभी-कभी जब दोस्त
आग्रह करते हैं तो
सिगरेट के कश भी लगाता हूं
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है
इसलिए आदत नहीं लगता हूं।।
एक दिन काशी घाट पर
चिलम पीने की इच्छा है
तुझसे बताता हूं।।
@अजय कुमार सिंह