तेरे करीब हूं
और दूर भी
यही तो सिलसिला है।।
और दूर भी
यही तो सिलसिला है।।
सोच में करीब
फासलों से दूर
प्यार में यही मिला है।।
फासलों से दूर
प्यार में यही मिला है।।
मोहब्बत की चाह में
नफ़रतों के आदि हुए
न ठीक से आशिक हुए
न ठीक से बर्बाद हुए।।
नफ़रतों के आदि हुए
न ठीक से आशिक हुए
न ठीक से बर्बाद हुए।।
दिल जब भी लगाया
दिल ही जला है
मुकम्मल चाहत को
ग़ुरबत मिला है।।
दिल ही जला है
मुकम्मल चाहत को
ग़ुरबत मिला है।।
न उम्मीद बची
न इंतिज़ार रहा
न जाने आपको मुझसे
क्या गिला हैं।।
न इंतिज़ार रहा
न जाने आपको मुझसे
क्या गिला हैं।।
आप मिल जाती
तो क्या होता
ख़ैरियत दिल
तबाह होता ।।
@अजय कुमार सिंह
तो क्या होता
ख़ैरियत दिल
तबाह होता ।।
@अजय कुमार सिंह