अंधेरे को चीरता
सुबह का उजाला
कोहरे से घिरा
वीरान सड़क
अद्भुत नजारा है।।
गुदगुदाती ठंडी हवा
मन बन बैठा आवारा है
सोच रहा हूं
घूमने निकलूं किस दिशा।।
सुबह का तकाजा है
सोच रहा हूं किसी
दोस्त को कॉल करूं
चाय के साथ कुछ
गरमा-गरम बातें करूं।।
मन का क्या है
कभी रंगराशिया है
कभी बैरागी है
कभी क्रांतिकारी है
कभी आज्ञाकारी है।।
@अजय
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प्रकृति