कितना भाग्यशाली है तू अमरूद
रोज चिड़िया, गिलहरी, तितली आदि
तेरे पास आते हैं
तुम सबको खाना-आश्रय देती हो
तेरे टहनियों-पत्तों पर डोलकर
सब खूब मजा पाते हैं।।
तपती धूप मैं तुम
सबको छाया देती हो
यह सेवा तुम निशुल्क ही
सबको प्रदान करती हो।।
एक हम मनुष्य हैं
सब दूर हम से भागते हैं
जैसे ही नजदीक जाओ
देख हमको तितली-चिड़िया उड़ जाते हैं।।
यही वजह है कि तुमसे
हम जलते हैं पर क्या करें
हम मनुष्य भी तेरे
फल पर पलते हैं।।
@अजय कुमार सिंह
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प्रकृति