बारिश की एक रात

जब ऊर्जा होती है
तो रास्ते की रुकावट भी
सहचर बन जाती है 
मौत भी जिंदगी के नगमे छेड़ता है
घनघोर घटा जीत की जय- घोष करता है।। 
गम कोसों दूर भाग जाता है
खुशी बांह पसारे स्वागत करती है
जब जुनून हद से गुजरता है
तो मुश्किलें खुद रास्ता बताती है
रास्ते की थकान विजय-तिलक बन
मस्तक पर छाती है।।
फिर कैसी यह अनिश्चितता
क्यों है यह घबराहट
चढ़ उम्मीद के घोड़े पर
नए रास्ते की तलाश में निकल
धूल उड़ाता बढ़ विजेता
धूल उड़ाता बढ़।।
वक्त तेरा भी इतिहास लिखेगा
तेरे भी कारनामे सुनाए जाएंगे
तू भी उदाहरण बनेगा
आत्मविश्वास के साथ 
हुंकार करता बढ़ विजेता
हुंकार करता बढ़।।
सब थकते हैं
सब डगते हैं
अकेला नहीं तू विजेता
सुबह से शाम अपने
लक्ष्य का पीछा कर
लक्ष्य का पीछा कर।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने