कहां भटक रही
हो अकेली
रात बहुत गहरी है
मेरे पास आओ।।
हो अकेली
रात बहुत गहरी है
मेरे पास आओ।।
बाहर बहुत ठंड है
अनजाने रास्ते हैं
अजनबियों से भरा है
रुक कर दो सांसे ले लो।।
अनजाने रास्ते हैं
अजनबियों से भरा है
रुक कर दो सांसे ले लो।।
हर अनजान पर
शक नहीं किया करते
जो प्यार से मिले
उससे तकरार नहीं किया करते।।
शक नहीं किया करते
जो प्यार से मिले
उससे तकरार नहीं किया करते।।
दो कप कॉफी बनाता हूं
ढेर सारी बातें करेंगे
कभी कुछ बोलेंगे
कभी कुछ बोलेंगे।।
ढेर सारी बातें करेंगे
कभी कुछ बोलेंगे
कभी कुछ बोलेंगे।।
बीच-बीच में रुक कर
एक दूसरे को देखा करेंगे
थोड़ी तुम शर्मा जाना
थोड़ा जज्बाती मैं हो लूंगा।।
@अजय कुमार सिंह
एक दूसरे को देखा करेंगे
थोड़ी तुम शर्मा जाना
थोड़ा जज्बाती मैं हो लूंगा।।
@अजय कुमार सिंह