अजीब कशमकश
दिल में मचा है
मैं दिल्ली या
मुझमें दिल्ली बसा है।।
दिल में मचा है
मैं दिल्ली या
मुझमें दिल्ली बसा है।।
परिवर्तन का साक्षी हूं
या परिवर्तन में शामिल
गौण है मुद्दें सारे
फिर भी क्यों हलचल मचा है।।
या परिवर्तन में शामिल
गौण है मुद्दें सारे
फिर भी क्यों हलचल मचा है।।
परिणाम के लिए युद्धरत हूं
कि वीरगति की चाहत है
जो भी हो जीवन में
बदलाव लाने की हसरत है।।
कि वीरगति की चाहत है
जो भी हो जीवन में
बदलाव लाने की हसरत है।।
युद्ध का एक ही सिद्धांत है
हार हो या जीत हर हाल में
समय की चुनौती स्वीकार
रणभूमि में लड़ना ही होगा।।
हार हो या जीत हर हाल में
समय की चुनौती स्वीकार
रणभूमि में लड़ना ही होगा।।
जो लड़ा विजेता वही बनता है
सत्ता का कर्ता-धर्ता
ऐसे ही थोड़ी कोई बनता है
दिल्ली यही संदेश देता है।।
@अजय कुमार सिंह
सत्ता का कर्ता-धर्ता
ऐसे ही थोड़ी कोई बनता है
दिल्ली यही संदेश देता है।।
@अजय कुमार सिंह