बादल भी मैं
बिजली भी मैं
चारों तरफ फैली हुई
घनघोर हरियाली के बीच
झर झर बारिश में
आनंदित मैं।।
कहां जाओगे
ओ रे मनवा
जहां जाओगे
मिलूंगा मैं।।
किसे खोजता है
किसे ढूंढता है
किसका तुझको इंतजार
जिस चौराहे जाओगे
खड़ा मिलूंगा मैं।।
क्यों तू चुप है
क्यों नहीं कुछ बोलता है
तुम्हारे हर किस्से में
हर कहानी में
हर कविता में
जो पात्र है
वह हूं मैं।।
बहके बहके हो तुम
बारिश का असर है
जिस चेहरे को याद कर
दूर चले गए हो मुझसे
नाम-रूप-लिंग बदलकर
दूर से जो आकर्षित
कर रहे हो मुझको
पता है मुझे
उसमें भी हूं मैं।।
@अजय कुमार सिंह
Tags
प्रकृति