जब रातों को बौड़ाता हूं
तेरा नाम लिए जाता हूं
सुनसान सड़कों पर
चुपचाप तुझे याद कर
बढ़ता जाता हूं।।
तेरी नाम का ही सब माया है
न ग़म हावी होता है
न खुशी टिकती है
बस तुमको याद कर
मन ही मन मुस्कुराता हूं।।
तेरी लगन जो लगी मुझे
कैसे कहूं दिन कैसे कटता है
रात कब होती है
सो कर भी तेरा नाम
बड़बड़ता हूं।।
कितना चाहता हूं तुझे
मैं खुद नहीं जानता
सोच बहुत पछताता हूं
क्यों नहीं तुझे बताता हूं।।
@अजय कुमार सिंह
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प्रेम