भोर



भोर हुआ
दिखी हरियाली
पेड़ों के पत्तों से
बूंद-बूंद पानी टपका
एहसास हुआ
बादलों ने
बारिश है बरसाई।।
मन तरोताजा हो उठा
जब हाथ में गरमा-गरम
चाय की प्याली आई।।
सच कहा किसी ने
वह अपुन ही है
चाय बारिश सुबह का संगम
अद्भुत है!
चल आज कुछ
अलग करते हैं
पुराने सोच
पुराने ढर्रे को
बदलते हैं।
चल फिर से
सब शुरू करते हैं
कुछ अच्छा लिखते हैं
कुछ अच्छा बोलते हैं।।
किसी को पकड़ कर
कुछ नहीं तो
थोड़ी शैतानी करते है
किसी बच्चे को चॉकलेट दे
खुश करते हैं।।
घर से गंदगी
साफ करते हैं
सारा सामान
ठीक-ठाक करते हैं
किसी की गलती
माफ करते हैं।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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