सुबह हो गई
चलो उठो
रजाई छोड़ो
बाहर निकलो
चहलकदमी कर
थोड़ा गर्मी लाओ
तेज़ भागो
या पैदल चलो।।
कुछ तो करो
बस पड़े मत रहो
देखो नया सवेरा
देखो कोहरे का पहरा
महसूस करो
सूरज की लाली
क्या मस्त है
पेड़ों की हरियाली।।
ओस देखो
लगते मोती हैं
ठंडी हवा
तन-मन जगती है
मिट्टी की महक
दूर यादों में
गांव ले जाती है।।
अब क्या सोचना
बस अब करना है
रोज सुबह उठना है
रात में जल्दी सोना है
दिन भर हंसना
दूसरों को हंसाना है।।
@अजय
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प्रकृति