साम्राज्य

घर-2

क्यों तू व्यर्थ चिंतित है मन तेरे जैसे हैं लाखों यहां अब इस रात को ही ले लो चारों तरफ है…

रिवाज

क्या बात है देव? हर खुशी की झलक दिखाते हो फिर पन्ना पलट देते हो कहानी ठीक से शुरू नहीं होती …

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