तेरी यादों में
गिरफ्तार रहता हूं
तुम मुझ पर शासन
करती हो, मैं तो बस
तुम्हारा दीदार करता हूं।।
पास नहीं हो
तो क्या हुआ
दूर से भी
तेरा एक अहसास
काफी है।।
लड़ लेंगे अकेले
तन्हाइयों से भी
जीवन का मकसद
हर आनंद से लड़ने
के लिए काफी है।।
जीने के लिए
एक कप चाय
चंद दोस्तों का
साथ ही काफी है।।
@अजय कुमार सिंह