यह नयन यह नक्श
यह चाल यह अदा
यह लहराते जुल्फें
यूं ही तो नहीं
कुछ तो इनका
प्रयोजन होगा।।
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बिना प्रयोजन
कुछ भी यहां नहीं
एक तिनके का भी
औचित्य है प्रयोजन है
फिर इतनी बड़ी काया
बेवजह तो नहीं।।
यह आपके हैं या मेरे हैं
कौन तय करेगा
अगर आपके हैं तो
यह मेरे शरीर
मेरे दिलो-दिमाग में
क्या कर रहे हैं।।
अगर यह मेरे हैं तो फिर
यह मेरे क्यों नहीं होते
मुझे चुनौती क्यों देते है
अजीब सी दशा है
बदहवासी का आलम है
मादकता की इंतिहा है।।
रोम-रोम आंदोलित है
अंग-अंग ज्वलनशील है
क्रांतिकारी मन गिरफ्तार है
हुस्न का छापा पड़ा है
मूल्यबोध तड़ीपार है।।
@अजय कुमार सिंह