घर-2



क्यों तू व्यर्थ चिंतित है मन
तेरे जैसे हैं लाखों यहां
अब इस रात को ही ले लो
चारों तरफ है अंधेरे का साम्राज्य
पता है तुझे मन
चंद घंटों बाद यह ना रहेगा।।
सूरज की किरणों के साथ
अंधेरे का साम्राज्य अंत होगा
नई सुबह होगी
नए नायक तलाशें जाएंगे
नई विजय गाथाएं लिखी जाएगी।।
इतिहास तो करवट लेता ही है
कुछ का अंत हो रहा होता है
कुछ नई चीजें आकार ले रही होती हैं
यह काल-चक्र है बदलता रहता है
कभी इस करवट बैठता है
कभी उस करवट बैठता है।।
सभ्यताओं का निर्माण भी करता है
सभ्यताओं को इतिहास भी बनाता है
किसी को पुरस्कृत करता है
किसी को दंडित करता है
निर्ममता के साथ काल- च्रक न्याय करता है
यही विधि का विधान है।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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