सोमवारी-2


जब भी टूटता हूं
तेरे दर पहुंच जाता हूं
तेरे सामने शीश नवा 
परम सुख पाता हूं।। 
बहुतेरे नाम तेरे
एकछत्र राज्य है
जहां तक मन की पहुंच है
तेरा साम्राज्य है।।
ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्मयोग से
बड़ा योग है तेरा
सिद्धहस्त योगी तू
महादेव नाम तेरा ।।
सीधा है, सरल है और
भोला-भाला है
तेजस है, विलक्षण है
त्रिनेत्र वाला है।।
आंखें बंद करके ही
सब जानता है
सर्व ज्ञानी है
फिर भी मौन धरता है ।।
न अहंकार, न भय
न छय का डर
मृत्यु और मोक्ष
दोनों से तू ऊपर।।
अजर-अमर अविनाशी
आप हिमालय वासी
कभी श्रीमान पधारिए
इस पावन भूमि पर।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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