भगवान कहां हैं ?

[caption id="attachment_31" align="alignleft" width="411"]20170308_060537 IN SEARCH OF HORIZON[/caption]

भगवान तेरे कितने नाम, कोई कहे हरे राम तो कोई कहे राम राम, कोई कहे सीता राम। भगवान की रट जो लगाए वो कहां उसे पा सके। धुन में जो उसके मगन सब को अपने धुन पर नचाए।

नाम-रूप में उसको जो खोजने निकले वो भटक जाएं। बैठ वहीं पर जो उसमें रम जाए उसे तुरंत उसकी अनुभूति हो जाए। काम-मोह-लोभ की इच्‍छा से जो उससे पुकारे, वह वहीं तक सीमित रह जाएं और जो साथी बैठ चीलम से जुगत भिड़ाए वह जा कर उसी में मिल जाए।

भगवान नहीं अघाता कोई जाने तो उसे, शर्त यही- सच्‍चे मन  से माने तो उसे। पर मन कहां ठहर पाए भगवान को डॉक्‍टर है बनाए। एकतर मर्ज बताएं ना कि दूसरे पर ध्‍यान लगाएं। दूसरे के पास गवो नहीं कि तीसरे पर नजर गड़ाएं। जिंदगी भर यही कर्म है दोहराये और भगवान बहुत पीछे छूट जाए।

सब समझे और सब समझाएं और साथ में भगवान-भगवान भी चिल्लाएं पर जब तपन की बारी आई तो मन पलटी मार जाए। का गरीब और का अमीर एक बाल्‍टी पानी में भगवान प्रकट हो जाए। और ओकरी मूड न होए तो दूध-घी धरा रह जाए।

ओ मितवा कहां ओकरी चक्‍कर में उदास होई जाएं। आपने आप में देख हो सकत है तुझे वहीं मिल जाएं। भगवान बहुत सुलभ है भाई काहे को इतना आडंबर बनाते। एक बार जो तुझे भगवान मिल जाए फिर नाम-रूप-रंग-शब्‍द का आडंबर छोटा पड़ जाए।

और अगर जिद पर अड़े भक्‍त तो जिस नाम-रूप-रंग-शब्‍द में उसे खोजे उसी में वह प्रकट हो जाए। सच्‍चा भगवान तो मुझे यही समझ में आए। बाकी जे है से कि ओकरी माया से कहां कोई है बच पाए।

ajaysingh

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