पत्‍थर तेरी कितनी कहानी

[caption id="attachment_40" align="alignleft" width="388"]20161217_091709 YOU ARE ALSO PART OF ME[/caption]

राह में पड़े पत्‍थर तो हम सभी देखते हैं पर क्‍या कभी हमने सोचा कि वह पत्‍थर वहां कहां से आया?

जी पत्‍थर, हां भाई पत्‍थर, अबे हां पत्‍थर, सचमुच में भाई पत्‍थर, मजाक नहीं यार पत्‍थर? अरे कैसे कहूं पत्‍थर, हां हां पत्‍थर, पत्‍थर-पत्‍थर-पत्‍थर!

आज शाम रास्‍ते मिला एक पत्‍थर उसी समय सोचा लिख मारूंगा कोई एक पत्‍थर। वही पत्‍थर जिसे कोई पूजता है तो कोई फेंकता है।

तो कैसे हुआ पत्‍थर-पत्‍थर एक समान? जोड़-जोड़ पत्‍थर बने मकान, इन्‍हीं पत्‍थरों को पूज कर कोई बने सियासतदान तो कोई बने महान और अगर मार बैठो किसी को तो हो शैतान।

अरे ओ इन्‍सान कैसा है रे तू पत्‍थर, तुझे गली में पड़े हुए पत्‍थर नहीं दिखते। काला पत्‍थर, लाल पत्‍थर, सादा पत्‍थर,मटमैला पत्‍थर,टेढ़ा पत्‍थर, थुथला पत्‍थर, कुबड़ा पत्‍थर, आड़ा पत्‍थर, तिरछा पत्‍थर। ऐसा पत्‍थर, वैसा पत्‍थर। जहां देखो, वहीं पत्‍थर।

अजब है माया इस पत्‍थर की। मंदिर में मिल तो अंगीकार और गली में मिले तो तिरस्‍कार। हा  हा  हा  हा  हा  पत्‍थर तेरे रूप निराले तुम हो बड़े भोले-भाले।

एक बार खुश हो गए तो माला-माल कर देते हो। और अगर नठ गए तो गए तो बेहाल कर देते हो।

वाह रे पत्‍थर तेरे लिए लाईन लगाऊं और ला कर चढ़ावा चढ़ाऊं और तू बैठा यूं मुस्कुराए जैसे सचमुच में हो पत्‍थर। तेरी माया अजब है पत्‍थर। ला तुझे अपने दिल में बसाऊं। तुझे अपने साथ खिलाऊं। खेल-खेल में ठोकर खा कर दुनिया-दारी बतियाऊं।

ओ पत्‍थर सुन कभी मेरे सुर के ताने-बाने तो बुन। जानता हूं और जान जाऊंगा तू नहीं है पत्‍थर। पूजे तो भगवान और गली के दिवारों पर टंग जाए तो थूक और सूसू से बचाने वाला पहलवान।

हाय रे इन्‍सान क्‍यों बनाया तुझे यह पत्‍थर। थूक और सूसू के लिए तेरा इस्तेमाल करता है और तेरे नाम पर रोटियां सेंकता है।

काश मैं होता इतना महान, तेरे हाथ में देता एक पत्‍थर और कहता अब नहीं है कोई पत्‍थर। और पूछता सच बता कहां बन कर बैठा हूं तू पत्‍थर। कभी मेरी गली तो आ इस अभागे पत्‍थर को गले तो लगा।

अरे सुन तू पूजे पहाड़ तो मैं पूजूं पत्‍थर। मेरे लिए तो सारी रचना है पत्‍थर। मैं कहां अंतर कर पाता हूं? धर्म-रंग-जाति सब मेरे लिए पत्‍थर। अब सच बता पत्‍थर, तू पत्‍थर कि मैं पत्‍थर। चल दानों मिल कर खेलें पत्‍थर-पत्‍थर। ध्‍यान यहीं कि इस खेल में भावना न मर जाए वर्ना जीना पड़ेगा बन कर पत्‍थर।

सूना है गांवों में कपार फोड़ने के काम आता है पत्‍थर। यहीं नहीं मार खूंटा गाड़ देता है पत्‍थर। बस खूंटे की लड़ाई में उठता है पत्‍थर।

हे पत्‍थर, हो पत्‍थर, कहां घूम रहे हो बन कर पत्‍थर एक बार सामने आओ नहीं मारूंगा पत्‍थर। सारे फ़साद की जड़ है पत्‍थर और मोक्ष की राह है पत्‍थर।

कैसा अभागा है यह पत्‍थर जा के मिल जा तेरे जैसा ही है वह पत्‍थर। देखा है मैंने करीब से बड़ा रूहानी है वह पत्‍थर। छू लो तो मन गदगद हो जाए ऐसा है वह पत्‍थर।

पत्‍थर को पत्‍थर समझने वाले तेरा दिल है पत्‍थर। सिर नवाओ कहीं मिले जो पत्‍थर। हो सकता है जीवन धन्‍य कर दे वह पत्‍थर। जीवन पथ पर बहुत सारे पत्‍थर हैं। इधर पत्‍थर, उधर पत्‍थर, जहां देखो वहां पत्‍थर। अरे ओ कण-कण में बसने वाला भी तो है पत्‍थर और रोम-रोम में बसने वाले हाहाहाहाहा अरे-अरे मारो न मुझे पत्‍थर, जी हां वह भी हैं पत्‍थर।

हे पत्‍थर, हो पत्थर कहां-कहां से आये इतने पत्‍थर। कई बार इन पत्‍थरों से घिरा खुद को भी मैं पाता हूं पत्‍थर। ओ पत्‍थर संभाल अपनी कायनात, कहीं बन ना जाए ये पत्‍थर। अरे ठीक है ठीक नहीं कहां मैंने तेरी सल्तनत को पत्‍थर। अगर कहां हूं तो बन जाऊं मैं भी पत्‍थर।

वाह रे भाई एक पत्‍थर ने दूसरे को बताई पत्‍थर।

कई बार खुद को खूबसूरती के सामने बना देखा पत्‍थर। ना बनो पत्‍थर तो मन मारता है पत्‍थर। ये मन है सबसे बड़ा पत्‍थर। जाने कितनों के सामने बनाया पत्‍थर। मन के पत्‍थर से जो पार पाएं, जा के उस अखण्‍ड पत्‍थर में मिल जाएं।

बड़ा अजब है पत्‍थर, जोड़-जोड़ महल बनाये पत्‍थर। पर महलों में कहां रहते हैं पत्‍थर। जा देख किसी कुटिया में मिल जायेंगे तुम्‍हें पत्‍थर। पत्‍थर की यही पहचान, ठोकर खा कर जो संभला, बना वही महान। जीवन पथ पर साधा जिसने यह पत्‍थर वही बचा बनने से पत्‍थर।

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने