नव्या


तुम आई और चली गई
छोड़ गई ढ़ेर सारी यादें
साथ में चॉक्लेट के रेपर
खाने-पीने से भरे डब्बे।।

अब घर खाली-खाली लगता है
शाम को जब मैं घर लौटता हूं
कोई पापा कह के नहीं
मेरे और दौड़ता है।।

पता है मुझे 
तुम भी मुझे 
खोजती होगी 
जैसा की मैं ।।

महत्वाकांक्षा की लड़ाई में
भावनाएं ही आहत होती हैं
दुनिया अलग होती है बेटा
जब तुम साथ होती हो।।
            @अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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