सोते-सोते


कुछ तो बात है तुम्हारे चेहरे में
जो बरबस मेरी नज़रें
वहां रुक जाती है
तुम्हारे चेहरे की हर लकीर
बस यूं समझ लो ब्रह्मांड का रहस्य है।।
एक में यौवन का आमंत्रण है
दूसरे में विचारों की गहराई है
तीसरे में मादकता की इंतेहा है
चौथे में प्रेम दिखता है
तो पांचवी में पूरा संसार है।।
किस-किस दृष्टिकोण से तुम्हें देखूं
हर दृष्टि में महिमा अपरंपार है
मैं जहां भी देखूं
जिधर से देखूं
जैसे भी देखूं
बस तुम ही तुम दिखती हो।।
मैं सोचने कुछ और बैठता हूं
सामने तुम आ जाती हो
मैं करने कुछ और जाता हूं
रास्ता रोक तुम खड़ी हो जाती हो
तुम से पीछा छुड़ाना चाहता हूं
और पीछे तुम पड़ जाती हो।।
बहुत भाव है तुम्हारे चेहरे के
इन्हें पढ़ना आसान नहीं
जो चीज आसान दिखती हो
असल में वह करना आसान नहीं
प्रेम के ऊपर लिखना आसान है
प्रेम करना आसान में नहीं।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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