ऐसी भी क्या
ख़ता हुई हमसे
जो आप रूठी-रूठी
जान पड़ती हैं।।
ख़ता हुई हमसे
जो आप रूठी-रूठी
जान पड़ती हैं।।
मैं आपको देखता हूं
बड़े ही अरमानों के साथ
आप दरवाजों-खिड़कियों
से संवाद करते नज़र आती हैं।।
बड़े ही अरमानों के साथ
आप दरवाजों-खिड़कियों
से संवाद करते नज़र आती हैं।।
सुना है अक्सर तन्हाइयों
में प्यार जग पड़ता है
हाय रे प्यार क्या वजह है
हमारे संबंधों में अक्सर
मौन ही हावी रहता है।।
में प्यार जग पड़ता है
हाय रे प्यार क्या वजह है
हमारे संबंधों में अक्सर
मौन ही हावी रहता है।।
एक तो मौसम का सितम
दूसरा आपकी खामोशी
लगता है मार ही डालेगी
आप यूं ही चुपचाप रहे तो
आँखों में रात ढल जाएगी।।
@अजय कुमार सिंह
दूसरा आपकी खामोशी
लगता है मार ही डालेगी
आप यूं ही चुपचाप रहे तो
आँखों में रात ढल जाएगी।।
@अजय कुमार सिंह