योगी


सोने की जल्दी
उठने की जल्दी
इतनी जल्दी बाजी करके
कहां जाएगा?
समय मिले तो
दम मार ले योगी
कहां बढ़ता जा रहा है
तू अकेला?
आगे हुस्न का सैलाब है
जुल्फों का जंगल है
आंखों का समंदर है
बातों की चाशनी है।।
बैठ जा यहीं पर
यही धूनी रमा
सच है यह की
यही सुकून मिलेगा।।
तुम्हारे ही ऊर्जा से
ब्रह्मांड का सारा सौंदर्य है
विश्वास अगर जो न हो तो
खुद को मुड़ कर देख लो।।
यह भी कटु सत्य बताता हूं
आज तुझको योगी
जीवन में तेरे ऐसा मुकाम आएगा
जहाँ सब कुछ होगा
और सब मिथ्या दिखेगा।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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