महादेव


हम ठहरे महादेव
कैलाश पर निवासते है
स्वर्ग और नरक की हमें क्या समझ
सदा योगहस्थ ही रहते हैं।।
सभ्यता-संस्कृति
शब्द-अर्थ
पल्ले नहीं पड़ती
पत्थरों, पहाड़ों और जंगलों से
हमेशा घिरे रहते हैं।।
दुख-दर्द
आशु-हंसी में
फर्क नहीं समझ आता
जो जिस भाव से आता है
उससे उसी भाव से मिलते है।।
मृत्यु की कल्पना
जीवन की हंसी
एक समान मेरे कानों में
राग छेड़ते हैं
तभी तो हम
महायोगी कहलाते हैं।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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