गीत


बस तुम्हें ही सोच कर
चंद पंक्ति गुनगुना लेता हूं
शायद मेरी जज्बात
तुम्हारे कानों तक
शब्दों के मार्फत पहुंचे
सोचकर गा लेता हूं।।
तुम्हारे बिना जिंदगी
बस यूं समझ लो
दूर तक वीरानियां है
कहने को भीड़ है
चारों और जश्न है
पर अंदर तनहाइयां ही तनहाइयां है।।
सब कुछ जान कर
भुला देना आसान तो नहीं
चाहत को अनदेखा कर
अंजान बने रहना ईमान तो नहीं।।
बेरहम हैं आप और हम है की आपसे
रहम की उम्मीद लगाए बैठे हैं
आप न भी चाहे कोई बात नहीं
हम तो आपको चाह बैठे हैं।।
आपको याद कर
हम यूं ही गाते रहेंगे
जब भी मौका मिलेगा
प्यार के नगमे गुनगुनाते रहेंगे।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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