हसरत




मेरे वजूद को जो ललकारती है परछाइयां
जवाब उसको देना चाहता हूं
तेरे धिक्कार- चीत्कार से बड़ा है मेरा व्यक्तित्व
आज तुझको बताना चाहता हूं।।
मेरी चाहतों का जो आग है
तेरी नफरत को भस्म कर सकता है
जा पूरे जमाने में जा कर देख ले
कोई नहीं है जो मुझसे ज्यादा तुझको चाहता है।।
अपनी हसरतों को शब्दों में उकेर रखा है
विश्वास न हो तो इतिहास के पन्ने पलट कर देख लो
हर पन्ने पर तुम्हारा नाम है
प्रस्तावना और अध्याय भी तुम्हारे नाम से बना रखा है।।
शायद तुमने मुझे समझा नहीं
ठीक से या मैंने समझाया नहीं
पर सच तो यह है कि तेरे नाम से
मैंने पूरी कायनात बसा रखा है।।
जहां हर एक पता और ठिकाने पर
तुम्हारी तस्वीर चस्पा है
हर चर्चा का सूत्रधार
हर संवाद का विषय वस्तु तुम को बना रखा।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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