रूका नहीं अभी मैं
बस थोड़ा धीरे हुआ हूं
मंजिल दूर जरूर है
पर चलना मैंने छोड़ा नहीं।।
राहो में रुकावटें बहुत है
बढ़ते रहना मुश्किल बहुत है
हौसलों का दामन नहीं छोड़ा
लड़खड़ाते ही सही
चलना नहीं छोड़ा।।
क्या पता अगले मोड़ पर
मिल जाए मंजिल मेरी
यूं ही बेवजह का परेशान हूं
कहां पता था मंजिल की तलाश में
घर से निकलना होगा
लगातार दिन-रात चलना होगा।।
लगता है अब रुक कर
सांस लेना होगा
मंजिल से ज्यादा
राहों में आकर्षण है
बढ़ते रहना जरूरी है
पर आस-पास का संज्ञान
भी तो होना चाहिए।।
धुन के सहारे कब तक चलू
आकर्षण का भी महत्व है
मौन में कब तक रहूँ
संवेदनाओं का भी तो अर्थ है।।
@अजय