काश कि मैं भी प्रेमी होता और
मेरी कोई प्रेमिका होती
लिखता उसका नाम
पेड़ों पर दीवारों पर।।।
इजहार ए मोहब्बत
कहीं भी करता
शौचालय में मीनारों पर
आते जाते लोग पढ़ते
हमारे बारे में कल्पना करते।।
अपनी चाहत को बयान करने
ताजमहल तो नहीं बनाता पर
तेरे नाम के साथ अपना नाम
ताजमहल पर जरुर लिख आता।।
इतना ही नहीं
इससे भी आगे जाकर
संसद की सड़कों पर
न्यायालय की दीवारों पर
तुम्हारा नाम लिख आता।।
हमें लेकर संसद में तकरीरे होती
न्यायालय भी जांच के हुकुम सुनाता
प्राइम टाइम में हम पर बहस होती
पूरा देश हमारे बारे में चर्चा करता।।
कौन है यह शख्स
पूरा देश जानना चाहता है
कोई महान आशिक कोई मजनू
कोई सिरफिरा कोई पागल तो
कोई कुछ कोई कुछ बताता ।।
@ अजय
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प्रेम