मेरे अभाव ने कभी
तुम्हें चुनौती नहीं दिया
मेरी गरीबी ने कभी
तुम्हें ललकारा नहीं।।
फिर तुम्हारा रूप सौंदर्य
मुझे फकीर क्यों बताता है
मैं लाख खुद को बड़ा समझू
मेरे अकड़ को आईना
क्यों दिखाता है।।
तुम गुजरती हो
जब सामने से
यह बादशाह भी क्यों
दरवेश नजर आता है।।
तुम्हें पाने की तमन्ना
वर्षों से दिल में कैद है
रूह है कि आजाद होना चाहता है
मन है कि तेरे पीछे पड़ा है।।
जानता है कि मिलेगा कुछ नहीं
फिर भी पागल क्यों
कुछ नहीं के चक्कर में
सब कुछ लुटाना चाहता है।।
@अजय
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जीवन