मेरी अधूरी ख्वाहिशों की
कहानी हो तुम।।
जो आग लगी है भीतर
बाहर उसका विस्तार हो तुम।।
रोज देखता हूं तुमको चौराहें पर
नहीं मिलने का अहसास हो तुम।।
तड़पता हूं देख कर तुमको
नहीं बुझ पाने वाली प्यास हो तुम।।
संभाले खुद को नहीं संभालता
मेरी बेचैनियों का राज हो तुम।।
जितना तुझे पाने की कोशिश करता हूं
उतना दूर चली जाती हो तुम।।
ऐसा क्यों लगता है मेरी सारी
संवेदनाओं की तलाश हो तुम।।
जब भी खुद के अंदर झांकता हूं
दिखती हो सिर्फ तुम।।
-अजय