सुबह की बेला है
हवाएं शांत है
बारिश के फुहारे हैं
आंखों के आगे फैला
हरियाली हैं।।
@अजय कुमार सिंह
हवाएं शांत है
बारिश के फुहारे हैं
आंखों के आगे फैला
हरियाली हैं।।
दूर क्षितिज पर
शोर सुनाई देता है
पता नहीं क्या
कहना चाहता है ।।
शोर सुनाई देता है
पता नहीं क्या
कहना चाहता है ।।
जो ज्ञात है वहीं
अज्ञात का स्रोत है
जो अज्ञात है वही
ऊर्जा का केंद्र है।।
अज्ञात का स्रोत है
जो अज्ञात है वही
ऊर्जा का केंद्र है।।
जो लग रहा शांत है
दरअसल वही बेचैन है
जो माया है वह ही
सृष्टि की रचना है।।
दरअसल वही बेचैन है
जो माया है वह ही
सृष्टि की रचना है।।
@अजय कुमार सिंह