क्या लिखूं तुम पर
शब्द नहीं मिलते है
बस तुम्हारे साथ
खेलने का मन
करता है।।
बस तुम्हारे साथ
खेलने का मन
करता है।।
तुमको देखने का मन
करता है और करता है
मन तेरे हाथों से पीटना
जब तुम गुस्सा होती तो
मेरी माँ नज़र आती है ।।
करता है और करता है
मन तेरे हाथों से पीटना
जब तुम गुस्सा होती तो
मेरी माँ नज़र आती है ।।
तुम्हें जो चाहिए
बस चाहिए
चाहे पड़े उसके लिए
जमीन पर छटपटाना ।।
बस चाहिए
चाहे पड़े उसके लिए
जमीन पर छटपटाना ।।
याद आता है मुझे
तुम्हारा जोर से मेरे कंधे
पर दांत काटना और
तरह-तरह मुँह बनाना ।।
तुम्हारा जोर से मेरे कंधे
पर दांत काटना और
तरह-तरह मुँह बनाना ।।
नहीं मन भरता फ़ोन
पर सुन कर तुम्हारी शैतानियां
आ रहा हूं फिर मिल कर
तुमको सुनाएंगे कहानियां।।
@अजय कुमार सिंह
पर सुन कर तुम्हारी शैतानियां
आ रहा हूं फिर मिल कर
तुमको सुनाएंगे कहानियां।।
@अजय कुमार सिंह