नव्या


तू ब्रह्मांड है
मैं विस्तार तेरा
तेरा जन्म लेना ही
उद्धार मेरा ।।
जहां-जहां पैर पड़ते हैं तुम्हारे
बदलता जाता संस्कार मेरा
तेरे पास जब भी होता हूं
नहीं पता कैसे कटता वक्त मेरा।।
तुझसे दूर रहने का
नहीं करता मन मेरा
तुम्हारी आवाज जब सुनता हूं
हिल जाता है तन मेरा ।।
तुम्हारी प्यारी मुस्कुराहटों पर
सर्वस्व समर्पण मेरा
परी है तू
और प्यार मेरा।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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