सोचा था कोलकाता
पर कुछ लिखने की
कोशिश करूँगा
पर दिलो-दिमाग में
तुम ही तुम छाई हो।।
पर कुछ लिखने की
कोशिश करूँगा
पर दिलो-दिमाग में
तुम ही तुम छाई हो।।
तुम्हारा चुपके से मेरे
टेबल के पास आना
मेरी किताबें छीन कर
एक झटके में 'पढ़' जाना।।
टेबल के पास आना
मेरी किताबें छीन कर
एक झटके में 'पढ़' जाना।।
मेरे डांटने पर
मुँह चिढ़ा कर
दूसरे मकसद में
लग जाना ।।
मुँह चिढ़ा कर
दूसरे मकसद में
लग जाना ।।
थोड़ी देर में
जोर की आवाज़ का
मेरे कान से टकराना
समझ जाता हूं तुम्हारे
द्वारा किसी और समान
का फर्श पर गिराया जाना।।
जोर की आवाज़ का
मेरे कान से टकराना
समझ जाता हूं तुम्हारे
द्वारा किसी और समान
का फर्श पर गिराया जाना।।
@अजय कुमार सिंह