नव्या-5




आप सोफे पर होती हैं
तो डरता हूं
आप गिर न जाए
ये सोचता हूं
तब तक आप गिर पड़ती हैं
और रोने लगती हैं ।।
किसी तरह चुप करता हूं
सोचता हूं इस बार आप पर ध्यान दूंगा
किसी ऊंचाई पर न चढ़ने दूंगा
जब तक यह सोचता हूं
आप कुर्सी पर चढ़ी मिलती हैं।।
वहां खड़ा हो हिमालय
जीतने का स्माइल और पोज़ देती हैं
इस बीच आप संतुलन खो बैठती हैं
फिर से ज़मीन पर होती है
आप रोती है मैं चुप करता हूं।।
थोड़ी ही देर में आपको
फिर कहीं खड़ा पता हूं
न शब्द , न भाषण पर
जीवन दर्शन आप बताती हैं
जो गिरता है
वापस वहीं उठता है
जीत का जश्न भी वहीं मनाता है ।।
               @अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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