पटना हो या कोलकाता
रात कहां होती है
हम भले ही सो जाए
सड़के कहां सोती हैं।।
रात कहां होती है
हम भले ही सो जाए
सड़के कहां सोती हैं।।
रात के निशाचर तो
अमरकंटक के सड़कों
पर मिलते है भय का
माहौल बना डर पैदा
करते हैं अंधेरे के
साम्राज्य को स्थापित करते है ।।
अमरकंटक के सड़कों
पर मिलते है भय का
माहौल बना डर पैदा
करते हैं अंधेरे के
साम्राज्य को स्थापित करते है ।।
अजीब सी शांति
रात को गांवो में होती है
जब झींगुरों की आवाज़ कानों
से टकराती है गज़ब की नींद आती है।।
रात को गांवो में होती है
जब झींगुरों की आवाज़ कानों
से टकराती है गज़ब की नींद आती है।।
भूत-प्रेत का हवाला दे
रात को निकलने से गांव में
रोका जाता है
शहर तो शहर है
रात यहां कहां होता है
बस टाइम देख कर आदमी सोता है।।
@अजय कुमार सिंह
रात को निकलने से गांव में
रोका जाता है
शहर तो शहर है
रात यहां कहां होता है
बस टाइम देख कर आदमी सोता है।।
@अजय कुमार सिंह