सोमवारी


महादेव हूं
विष का पान करता हूं
महायोगी हूं  
योग में लीन रहता हूं।। 
न लाभ की चाहत
न हानी का डर
उद्धारक हूं
उद्धार करता हूं।।
न जन्म की लालसा
न मृत्यु का भय
अमरनाथ हूं
अमरत्व प्रदान करता हूं।।
न आदि मेरा
न अंत मेरा
विश्वनाथ हूं
विश्व का कल्याण करता हूं।।
न किसी के पास हूं
न किसी से दूर हूं
महाकाल हूं
भस्म का श्रृंगार करता हूं।।
न राग प्रभावित करता है
न द्वेष से कार्य करता हूं
जो भी आता है
प्रेम से गले लगाता हूं।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

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