न भाव मिला
न भगवान मिला
दोनों की तलाश में
दर-ब-दर हो गए।।
न भगवान मिला
दोनों की तलाश में
दर-ब-दर हो गए।।
कौन दोस्त है
कौन दुश्मन
समझना तो चाहा
पर अनाड़ी रह गए।।
कौन दुश्मन
समझना तो चाहा
पर अनाड़ी रह गए।।
जन्म देने वाला अपना
या पालने वाला अपना
अपने-पराये के द्वंद में
हम अकेले रह गए।।
या पालने वाला अपना
अपने-पराये के द्वंद में
हम अकेले रह गए।।
न कभी अपनों ने तारीफ की
न ही प्यार से गले लगाया
जब भी जरूरत महसूस हुई
मुझसे दूरी ही बनाया।।
न ही प्यार से गले लगाया
जब भी जरूरत महसूस हुई
मुझसे दूरी ही बनाया।।
क्या गलती हुई मुझसे
जो सजा मुझे मिली
प्यार की चाहत में
कड़वाहट के आदि हो गए।।
जो सजा मुझे मिली
प्यार की चाहत में
कड़वाहट के आदि हो गए।।
मत पूछों अब दोस्ती का हाल।
आलम यह है की
अपने-पराये की बीच
फर्क करना भूल गए।।
@अजय कुमार सिंह
आलम यह है की
अपने-पराये की बीच
फर्क करना भूल गए।।
@अजय कुमार सिंह