कल्पना

न तेरे साथ जाऊंगा
न उसके साथ जाऊंगा
मैं तो सिर्फ अपनी
कल्पना के साथ रहूंगा।। 
न मनाना पड़ता है
न समझाना पड़ता है
कल्पना अपनी है
जैसी चाहो रंग भर दो
जब चाहो बदल लो।। 
न रूठना, न मनाना
न वक्त बे वक्त राह तकना
मन ग़मज़दा हो तो
पुरानी फाइल खोल दो
खुश हो दिल तो
नया सृजन कर दो।।
कल्पना की यही हकीकत
जब जैसा मूड हो
तब उसी अनुसार
कल्पना को आकार दो।। 
कल्पना और यथार्थ का
अद्भुत संगम है
यथार्थ वस्तुनिष्ठ है
कल्पना आत्मनिष्ठ।।
एक सच बताता है
एक सच के परे बताता है
दोनों की साधना ही
जीवन दर्शन है।।
@अजय कुमार सिंह

ajaysingh

cool,calm,good listner,a thinker,a analyst,predictor, orator.

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने