बस चलना शुरू किया हमने
कहां पता कि रास्ते में इतनी बाधा आएगी
डटकर सामना किया सबका
एक दिन मंजिल करीब आएगी।।
हौसले की कमी नहीं थी
सामने मुश्किलों का तूफान जो था
नहीं रुका चुनौतियों के आगे
बस एक सिद्धांत के सहारे बढ़ता रहा
सब कुछ था बस रुकना मना था।।
धुन सवार थी मुझ पर
दिन और रात में फर्क कहां था
जंगल-जमीन सब नाप डाला
चट्टानों की तरह
वादों पर अड़ा था।।
राहों की थकावट में
सच बोलूं तो आराम बहुत है
जीने के मायने जब मिल जाए
तो फिर करने को काम बहुत है।।
मकसद सीधा, साधा और सरल है
जिस रास्ते जाओ
धूल उड़ाते जाओ
देखना वक्त ही लिखेगा
इतिहास तुम्हारा।।
।।अजय।।