सूरज की किरणें
जब पृथ्वी से टकराती है
न जाने कितने रंगों में
बिखर जाती है।।
जब पृथ्वी से टकराती है
न जाने कितने रंगों में
बिखर जाती है।।
कुछ रंग बहुत गहरे हैं
कुछ रंग हल्के
कुछ प्रेरणा स्वरूप हैं
कुछ है अनकहे।।
जीवन क्या है
बस रंगों से बना है
कभी घनघोर हरियाली है
कभी तेज लगता लाली है।।
मिट्टी के भी कई रंग है
जैसी संभावना वैसी रंग
कोई फूल लाल
कोई सादा है।।
अद्भुत है प्रकृति
हम सब प्रकृति के
रंगों में रंगे हैं
कभी गुस्से में लाल
कभी शर्म से पानी-पानी होते हैं
कभी जवानी में मग्न
कभी बुढ़ापे का गम मनाते हैं।।
।।अजय।।