गुलाब नगर-8

 

तेरे हुस्न का जलवा है
अंधेरी रात में भी बिजली सी चमक उठती है
कौन सोना चाहता है अभी
तुम्हारी मदहोशी ही नींद बनकर घेर लेती है।।

मुझसे मेरा हाल क्यों जानना है
खुद से अपना हाल पूछ लो एक बार
अगर जो दिल तुम्हारा मुझे याद कर
बगावत ना कर दे
तो खुदा की खिदमत में बिता दूं
बचे हुए दिन चार।।

साधारण मनुष्य ही तो चुनौती देता है
प्रकृति ने तो प्रेम करना सिखाया
जमाना क्यों पीछे पड़ा है
मुकद्दर की लकीरें पीटने से क्या होगा
जब हाथों में पुरुषार्थ भरा है
अपना उद्धार तो खुद ही होगा।।

दुनिया की हसरतें पाना आसान है
मुश्किल है बस सहेज कर रखना
मिले जो खुदा किसी मोड़ पर कभी
सलाम करना और पूछ लेना
बंदे की फितरत क्या है।।
।।अजय।।

ajaysingh

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